Hindi Poems

नज़रिया

मैं अपने ग़म में डुबकियाँ लगाती हूँ
बेहद खुश होकर
मैं अपने गम में डुबकियाँ लगाती हूँ
बेहद खुश होकर…
ये तो तुम्हारा नज़रिया है
तुम खुशी देखो या ग़म

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